
सोनकच्छ में एमजीरोड़ पर स्थित ईसाई संस्था की ओर से संचालित निर्मला बालक-बालिका छात्रावास का औचक निरीक्षण 6 फरवरी मंगलवार को हुआ। संस्था करीब 3 दशकों से बगैर शिक्षा विभाग में रजिस्ट्रेशन कराए संचालित हो रही है। जांच के दौरान बच्चों से शौचालय साफ कराने जैसे मामले भी आएं थे। अब इस मामले में महिला बाल विकास अधिकारी ने प्रकरण दर्ज करवाया है।हास्टल में बच्चों से कराया जाता है सारा कामपु । लिस से मिली जानकारी के मुताबिक, परियोजना अधिकारी महिला और बाल विकासप रियोजना प्रवीण पिता नेमीचंद जैन निवासी सोनकच्छ ने प्रकरण दर्ज कराया, एसडीएम सोनकच्छ के मौखिक आदेशानुसार निर्मला बालक छात्रावास का निरीक्षण 6 फरवरी को महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी,तहसीलदार लखनलाल सुनानिया, बीईओ हरिसिंह,भारती की उपस्थिति में पुलिस दल के साथ किया गया था। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि, निर्मला बालक छात्रावास में रहने वाले बालकों से शौचालय साफ कराया जा रहा है।इसी निरीक्षण के दौरान निर्मला बालिका छात्रावास में बालिकाओं से भी भोजन बनवाया जाता है। निर्मला बालक छात्रावास के फादर नवीन डेनी बलराज, निर्मला बालिका छात्रावास की इंचार्ज सिस्टर जॉली बच्चों से यह काम करवाती हैं। पुलिस ने फरियादी जैन कि रिपोर्ट पर आरोपी फादर और सिस्टर के विरुद्ध किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 75 और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम, 1989 (संशोधन 2015) की धारा 3(1) (i) में प्रकरण दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरु कर दी है।बीमार होने पर बच्चों का इलाज तक नहीं करवाया जाता।वहीं परियोजना अधिकारी जैन ने शुक्रवार को भी दोनों छात्रावास का निरीक्षण कर बच्चों के बयान दर्ज किए है, जिसमें बालक और बालिकाओं ने कई गंभीर आरोप प्रबंधन पर लगाए है। बालिकाओं ने कहा कि, हम जब बीमार हो जाते है तो अस्पताल में उपचार नहीं कराया जाता है। साथ ही ठंडे पानी से नहलाते है।
- संचालकों ने कहा- गलत प्रकरण दर्ज हुआ है
इधर मामले को लेकर फादर बलराज का कहना है कि, यह प्रकरण गलत दर्ज हुआ है। इसमें कोई भी ठोस सबूत नहीं है। बच्चे हमसे बहुत खुश है। सिस्टर जॉली का कहना है कि, हॉस्टल बहुत सालों से संचालित हो रहा है, हमारे यहां ऐसा कुछ भी नहीं होता हैं। हमारे यहां के बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर बड़े पदों पर है।